कविता

पद

मैया याद तिहारी आवे।
मखमल सेज नींद नहीं आवत लोरी कौन सुनावै।
छप्पन भोग थाल सजि आवत माखन कौन खवावै।
गोपी, ग्वाल बाल संग नाहीं खेला कौन खेलावै।
लकुटि कमरिया गोकुल रही गे गैया कौन चरावै।
चक्र सुदर्शन साथ हाथ के मुरली कौन बजावै।
जमुना तीर कदम्ब की छैँया अब को रास रचावै।
प्रीत बसी गोकुल मन विरही कैसो कान्ह भुलावै।
राधा अस को अहै द्वारिका बंशी कौन चुरावै।
सबहीं अछत मैया बिन मोहें लल्ला कौन बुलावै।

— वीरेन्द्र मिश्र ‘विरही’

वीरेन्द्र कुमार मिश्र 'विरही'

पूर्व प्राचार्य,ग्राम-विन्दवलिया पो-नोनापार,जिला-देवरिया उ0प्र0,दूरभाष-8808580804