गीत
थाम तूलिका पतझड़ लिखता ,
नवल सृजन की गाथा प्रियतम ।
विटप सजेंगे नव पातो से ,
सुखद दृश्य उपवन में प्रियतम ।।
सघन रात्रि के बाद सदा ही
दमके स्वर्णिम किरणें दिन की ।
वसुधा नवल वसन फिर धरती
पूर्ण हुई आशा ज्यों मन की ।।
उसपल ऋतु होते परवर्तित
उगे शाख पर कोंपल प्रियतम ।
विटप सजेंगे नव पातो से
सुखद दृश्य उपवन में प्रियतम ।।
आम्र डाल पर बौर खिलेंगे ,
कोयल गायेगी मीठे धुन ।
टेसू में केसरिया बाना ,
अब बरसेंगे महुवा के गुन ।।
खूब फलेगी अमराई अब
मौसम भरेंगे नव रंग प्रियतम ।
विटप सजेंगे नव पातो से
सुखद दृश्य उपवन में प्रियतम।।
भांति भांति के भाव उभरते
कवि फिर अपनी कविता लिखता ।
कभी अनुराग से अंतस भीगे,
कभी आस का अंबर दिखता ।।
सृजन शब्द स्वर लहरी भर दे
दो ऋतुओं का संगम प्रियतम ।
विटप सजेंगे नव पातों से
सुखद दृश्य उपवन में प्रियतम ।।
— साधना सिंह