मां ने कहा था
जिंदगी का दूसरा नाम समस्या है,
हर “स” समस्या के मध्य ही
“स” से समाधान भी होता है,
बस “स” से समाधान खोजना होता है,
उसके लिए तैयार होना होता है.
मां ने बचपन से ही इसके लिए
तैयार रहना सिखाया था,
“जब घी कम हो तो
पूरियां छोटी-छोटी बना लेना,
संसाधन कम हों तो थोड़ा-सा
मन को अपने दबा लेना,
इस तरह हंसते-मुस्कुराते
अपनी जीवन-बगिया को
सहज ही महका लेना.”
मां ने कहा था.
— लीला तिवानी