क्षणिका घट घट ब्यापे राम *ब्रजेश गुप्ता 09/04/2023 हैरान परेशान भटक रहा इस बियावान में ऐसे जैसे मृग फटकता फिरता जंगल जंगल खोजे उस कस्तूरी को छुपी हुई जो खुद उसके ही भीतर