कविता

आत्मनिरीक्षण

आत्ममुग्धता छोड़िए
और विचार संग आत्मचिंतन कीजिए ट
आत्मनिरीक्षण भी कीजिए,
अपने आसपास का वातावरण
अपने मन की आंखों से देखिए
खुद को खुदा या शहंशाह
समझने की खोल से बाहर निकलिए,
आत्मनिरीक्षण कर मन का मैल साफ करिए
मन के वातावरण को सुंदर, सुखद बनाइए।
जो सबकी आंखों को सूकून और
मन को शीतलता प्रदान करे
और तुम्हारे अंदर घुसपैठिया बनी दुर्भावना को
तुमसे दूर करे और फिर पास फटकने भी न दे
तुमसे आत्मनिरीक्षण की एक कोशिश करिए
और सारी दुर्भावनाओं का
सदा सदा के लिए अंत करिए।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921