कविता

स्मृतियाँ

कुछ कड़वी कुछ मीठी स्मृतियाँ
हृदय के कोने से तरंगित हो उठतीं
भूतकाल वर्तमान भविष्य की गाथाएं
बन जातीं हैं एक स्वर्णिम इतिहास
मरणोपरांत का मिला सम्मान
होता है यही सर्वोच्च पुरस्कार
कल हो न हो
अहसास दिलातीं
रहेंगी स्मृतियाँ
तेरे जाने के बाद
लोगों का काफिला
तेरी लोकप्रियता को
दर्शाती कह रही थीं
जीवन तूने जितना जीया
औरों के लिए जीया
तेरा जल्दी दुनिया से
रुख़सत होकर जाना
मन को भीतर से
कचोट गया हमें
जीवन का जीवन
से होगा पुनर्मिलन
उत्पन्न होगी आस की
तब नवीन किरण लेकर
पूर्व दिशा से अरूणाई
करेगा नव जीवन संचार

—  वीरेन्द्र शर्मा वात्स्यायन 

वीरेन्द्र शर्मा वात्स्यायन

धर्मकोट जिला (मोगा) पंजाब मो. 94172 80333