झूठ और सच
सुना है झूठ के पैर नहीं होते
सच है उसके पैर नहीं
उसके तो होते हैं पंख
जिनके सहारे उड़ता फिरता है चारों ओर
और सच के पांव होते हैं भारी
उसका तो चलना भी है भारी
वह तो चलता है लड़खड़ाता हुआ
डरता है आदमी सत्य बयां करता हुआ
सत्य यह भी है झूठ टिकता नहीं ज्यादा दिन
सत्य रहता है अटल जैसे सूर्य और चंद्र