माँ
सम्भव नहीं मैं तेरा अहसान चुकाऊँ
माँ जीवन भर मैं तेरा गुणगान करूँ,
आती है जब बचपन की यादें,
माँ आँखों में आँसू आ जाते हैं।
वो दिन सचमुच बहुत अच्छे थे
जब हम छोटे से बच्चे थे,
माँ तेरी गोद में हम सोते थे
मां तुझसे लिपट कर बहुत रोते थे।
तुमने अपनी रातों की निद्रा को
माँ मुझ पर वारी की है,
तेरी ममता का हर दिन मैं रसपान करुँ
माँ सचमुच तू करुणा की देवी है।
मुझे सबसे सीधा व भोला समझती थी
मेरे नटखट पन को भूल बताती थी,
मुझे तुम्हारे प्रेम की जो सुधा मिली
सच में तुम वसुंधरा सी सहनशील हो।
तुम्हारे वात्सल्य का दीप राह बताते है,
तिमिर राहों में तुम राह दिखाती हो।
तुम्हारे हृदय को मैं न कभी दुखाऊँ ।
तेरे आशीष जन्म जन्म रसपान करूँ।
— कालिका प्रसाद सेमवाल