कविता

कहा हाथ की लकीरों ने

कल रात सपने में हाथ की लकीरों से बात हुई,
बात क्या हुई, बहुत ही सुंदर-सार्थक मुलाकात हुई।
पर्यावरण को प्रदूषण से बचाओ,
कहा हाथ की लकीरों ने,
जल को व्यर्थ मत बहाओ,
कहा हाथ की लकीरों ने।
औद्योगिक कचरा नदियों में मत बहाओ,
कहा हाथ की लकीरों ने,
वृक्षों को काटो मत, नए वृक्ष लगाओ,
कहा हाथ की लकीरों ने।
प्लास्टिक-निषेध के नारों से कुछ न होगा,
कहा हाथ की लकीरों ने,
धरा को प्लास्टिक-मुक्त करना ही होगा,
कहा हाथ की लकीरों ने।
ओजोन-छेद को बढ़ने से रोकना होगा,
कहा हाथ की लकीरों ने,
जंगल नष्ट करोगे तो कष्ट भुगतना होगा,
कहा हाथ की लकीरों ने।
रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम मनाओ-न-मनाओ, कोई हर्ज नहीं,
पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना फर्ज है, कर्ज नहीं।
(विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस 17 जून पर विशेष)

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244