बाल कविता

बिजली खंभा

सड़क किनारे बिजली खंभे। पड़ते बच्चे लगे अचम्भे।।
शहर शहर अरु गांँव गांँव में।खड़े रहे ये एक पांँव में।।
वायर रहता लम्बा काला।लगता जैसे मकड़ी जाला।।
घर दफ्तर बिजली पहुंँचाता।काम सभी लोगों के आता।।
धूप छांँव अरु गिरता पानी।देख इन्हें होती हैरानी।।
पावर रखता इतना भारी।कभी न छूते नर अरु नारी।।
मानव इससे नाता जोड़े।इनका पीछा कभी न छोड़े।।
जीवन भर ये सेवा करते।जन जन में खुशियांँ ये भरते।।
खड़े रहे ये बिना सहारे।सदा मौन गम्भीर बिचारे।।
जोड़ रखे परिवार हमेशा।हमें नेक मिलता संदेशा।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]