कविता

‘अहिंसा परमोधर्म’

‘अहिंसा परमोधर्म’ का दिया समस्त जगती को उपदेश,

विनय, विवेक, विश्वबंधुत्व, शांति, सद्भावना का संदेश।।

‘जिओ और जीने दो’, कभी किसी का दिल न दुखाओ,

प्रेम से करो क्षमायाचना, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार तजो।।

प्रभु परमात्मा की हम सब संतान, संयम, धर्म पथ चले,

अनाथ के नाथ बने, भूखे-प्यासे को प्रेम से निवाला दे।।

मूलभूत सारे अधिकार, छत्र-छाया, मिले रोटी, कपड़ा, मकान,

शिक्षा मौलिक अधिकार, खिले जीवन, हो संपदा, सुखसाधन।।

विश्वशांति, अहिंसा के उपासक, महावीर स्वामी ने बतायी राह,

मानव जीवन मिलता नहीं बार-बार, हो सार्थक, मेरे हमराह।।

धर्म संस्कार, जप, तप, सामायिक, कर्म निर्जरा हेतु करें,

परोपकारी हो जीवन, जरूरतमंद को संबल, आश्रय दे।।

मोक्षमुक्ति ही जीवन उद्देश्य, भवोभव फेरों से मुक्ति मिले,

अनुमोदना तपस्वी की, धन वैभव शुभ कार्य में अर्पण करें।।

जैन धर्म सिखाये मानवता की शिक्षा, नैतिकता हो जीवन में,

पावन, निर्मल, निश्चल मन मेरा, मोक्ष मुक्ति का प्रयास रहे।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८