भुझा देना ही बेहतर है उन चराग़ों को
भुझा देना ही बेहतर है उन चराग़ों को
उजाला कर नही सकते जो अनधेरे घरों में
कया ज़रूरत है निभाने की उन रिशतों को
तलख़ियाँ भर देते हैं जो आप के दिलों में
—
मसरूफ़ बुहत है इनसान आज के दौर में
वाक़िफ़ फिर भी है वोह सेजुदाई के असर से
अक़स हमारा ही नज़र आता है चेहरे से आप के
मिला कर तो देखिये नज़रें आपकी हमारी नज़रों से
—
जुसतजू दुनिया में आप की मक़सद है हमारी ज़िनदगी का
यक़ीन क़ायम रहे गा हमारा मायूसियों के लमहों में भी
हर लफ़ज़ हमारी ग़ज़ल का बियान करता है दासतान हमारी
बुहत गैहरे हैं निशान इस दुनिया में हमारे क़दमों के
—-
नामा बर ने जब ख़बर दी हमें आप के आने की –मदन–
बार बार चूमा हम ने गुलशन के सारे ही फूलों को
इनतेज़ार हम जो कर रहे थे अपने हम सफ़र के आने का
रिशते सचे पयार के तो मिटते ही नही सदियों में