चुनावी रिश्ता
“सलाम साहेब जी। मंत्रीजी से मिलना है मुझे।”
“अपॉइंटमेंट है आपका ?”
“उसकी हमको जरूरत नहीं होती साहेब।”
“क्यों ? क्या आप उनके कोई खास रिश्तेदार हैं ?” मंत्रीजी के पीए ने उस गली के गुंडे टाइप दिखने वाले व्यक्ति को शंका की दृष्टि से देखते हुए व्यंग्यात्मक रूप से पूछ लिया।
“हाँ जी साहेब, मैं उनका बहुत ही खास रिश्तेदार हूँ। कृपा करके उन्हें बताइए कि रेंगा ठाकुर आए हैं।”
“ठीक है।”
पीए ने इंटरकॉम पर मंत्रीजी को जैसे ही सूचित किया, वे तुरंत बाहर आए और उन्हें ससम्मान भीतर लेकर गए।
बाद में जब रेंगा ठाकुर चले गए, पीए ने समय देखकर मंत्रीजी से उनके बीच का रिश्ता पूछा, तो मंत्रीजी ने बताया कि उनके बीच चुनावी रिश्ता है, जो एक राजनेता के लिए किसी भी अन्य रिश्ते से कम महत्वपूर्ण नहीं। रेंगा ठाकुर जैसे उनके दर्जनों रिश्तेदार हैं, जो कि भीड़ और वोट जुटाने के साथ-साथ विपक्षियों को आवश्यकतानुसार डराने-धमकाने, कूटने या फिर टपकाने का काम करके उनका मार्ग सुगम बनाते हैं।
— डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा