कुछ पल ही सही
कुछ पल के लिए कुछ पल ही सही ।
तू मिला ……
और मिला मुझको कुछ भी नहीं।
कुछ पल के लिए कुछ पल ही सही ।
जीवन के सफर में जब निकले कभी।
किनारों की तरह चले थे सभी।
साथ तेरा दो कदमों का ही सही।
तू चला…..
और मिली मुझको मंजिल नही।
सब किस्से मोहब्बत के अधूरे सही।
है मोहब्बत तुमसे इतना ही सही।
पूरी न हो सकी…चल अधूरी सही।।
सब मिला…
और फिर भी कुछ भी नहीं।।
चाहतों के समंदर में तैरा था कभी
आसमानों को किस्सों में उतारा कभी।
नाम तेरा लेकर जी लेगें हम।
तू मिला पूरे दिल से कभी भी नहीं।
जिंदगी दुआओं से मिलती नहीं।
दे बददुआएं कि जान भी निकलती नहीं।
जिस कदर अजनबी करके गया था कभी।
तेरे आने की आहटें भी अब सुनतीं नहीं।
आवाज़ मेरी भी तुझ तक पहुंचती नहीं।
दो किनारों सी चलीं जिंदगी जो जाकर कहीं मिलती नहीं।।
— प्रीति शर्मा ‘असीम’