कविता

चंदा मामा कितनी दूर

अरे! ये क्या कह रहे हैं आपचंदा मामा अब दूर नहींहम तो उनके ही पास हैं।ताज्जुब हो रहा है कि अभी भी आपको विश्वास नहीं हो रहा है।जब खुद मामा ने संदेश भेजकरआप सबको ये सबको बतायाकि मैं यहां सकुशल आ गया हूं।मैंने भी तो संदेश और सेल्फी भेजकर यहां पहुंचने की बात बताया थाफिर आपको विश्वास क्यों नहीं आया।ओह ! अब समझ में आयाआप सब बड़े लालची जो हैंउपहार की उम्मीद में मुंह में पानी भर आया होगा।चलो ठीक है पर थोड़ा तो सब्र करोमामा को भी सोचने समझनेऔर इंतजाम का मौका तो दो,मामा बेचारे सबके लिए इंतजाम में लगे हैंहर किसी के लिए कुछ न कुछ भेजने का वादामामा हमसे कर रहे हैं।हमको पाकर मामा खुशी से रो रहे हैंमुझे अपने पास ही सुलाते हैंरोज कहानियां भी सुनाते हैंअब जब हम ही यह सब बता रहे हैं,तब भी आप पूछ रहे हैं चांद कितनी दूर हैयानी मामा पर ही नहींहम पर भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।आखिर आप मामा को क्यों शर्मशार कर रहे हैं?नाहक हमें भी बदनाम कर रहे होमामा की नजरों में हमें गिरा रहे हो।

*सुधीर श्रीवास्तव

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