लघुकथा

प्यार के रंग

क्या हुआ बेटा? कुछ चाहिए? अपनी चुन्नी हटाते हुए नंदिनी ने कहा| नंदिनी ने उस बच्ची से  कहा फिर वापस जाने लगी, लेकिन मुड़कर उस बच्ची को देखने से खुद को रोक नहीं पायी| उस बच्ची की आंखों में एक कशिश थी, एक चाहत थी|ना चाहते हुए भी नंदिनी  उन आंखों में उलझ कर रह गयी |

नंदिनी क्या कर रही  हो ?कब से चाय बना रही हो| निखिल की इस आवाज ने नंदिनी की तंद्रा को तोड़ी| निखिल चाय लो, क्या नंदनी होश कहां है तुम्हारा? चाय में चीनी तक नहीं डाली| किस बात से परेशान हो? बताओ जरा क्या हुआ है तुम्हें, बताओ तो, निखिल ने पूछा तो नंदिनी उस बच्ची के विषय में बतायी |

 तो निखिल ने कहा ऐसा होना स्वाभाविक है 2005 में शादी हुई थी हमारी 2012 चल रहा है, और कल शादी के 8 वर्ष हो जाएंगे| इतने वर्षों में अभी तक घर में सिर्फ हम और तुम ही हैं | बच्चे की जरूरत है इस घर में इसे लिये तुम्हारा ध्यान उस पर चला गया होगा| किसी तरह  निखिल ने तो  नंदनी को समझा दिया, और दफ्तर की ओर रुख कर लिया| उसे भी एहसास था नंदिनी की दशा का|

वह सोचने लगा इस वर्ष शादी के वर्षगांठ में नंदिनी को क्या उपहार दूं? जो उसकी खुशियां वापस ला दे| इसी उहापोह में दिन बित  गया| शाम को निखिल ने कहा नंदिनी आज मुझे देर हो जाएगी शायद रात के 12:00 या 1:00 बज जाए| कुछ कंपनी में जरूरी काम आ गए हैं| तुम इंतजार मत करना हमारे पास चाबी है घर आ जाऊंगा| आज से पहले नंदिनी ने कभी अकेले खाना नहीं खाया था| उसे भी खाने की इच्छा नहीं हुई और वह सोने चली गई| धीरे-धीरे उसे नींद भी आ गई| सोने से पहले वह सोच रही थी अब मैं निखिल के सामने उदास चेहरा लेकर नहीं जाऊंगी, उसे परेशान नहीं करूंगी| इस बार शादी की वर्षगांठ में मैं अपनी खुशी उसे दूंगी| 

नंदनी की आंख खुली तो सुबह के 7:00 बज रहे थे| शादी की वर्षगांठ का दिन और इतनी देर| वह दौड़ कर हॉल में गई, हाल देखकर वह हक्की बक्की रह गई| हॉल पूरी तरह से सजी हुई थी| जगह-जगह 2005 से लेकर 2012 तक की यादें| लेकिन निखिल कहीं नहीं दिख रहा था| अचानक निखिल पीछे से आकर नंदिनी की आंखों को बंद कर लिया, और कहा आज तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है| थोड़ी देर में तुम अपनी आंखें खोलना और कहा अब आंखें खोलो| नंदिनी चिल्ला दी, निखिल कहां से?कैसे? कब?यही था कंपनी का काम ना?

 नंदनी  ने देखा वही छः साल की बच्ची जिसने  उसकी चुन्नी को पकड़ लिया था, वह उसके घर में परी की तरह सज  कर बैठी हुई थी|

 निखिल ने कहा नंदिनी शादी की वर्षगांठ पर यह रहा उपहार| तुम्हारी बेटी, हमारी बेटी| यही एक प्यार का रंग हमारे बगिया मैं नहीं थी| फिर उसने बताया कि कैसे कैसे उसने कानूनन बच्ची को अपनाकर पिता का दर्जा दिया| नंदिनी की आंखों से प्यार की बरसात हो रही थी, ठीक वैसे ही प्रसव की पीड़ा के साथ आंखों से खुशी के आंसू होते हैं| निखिल और नंदिनी के जीवन में नंदिता एक प्यार का रंग लेकर आयी| सभी उस प्यार के रंग में सराबोर थे|

— सावित सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]