पुरानी यादें
चलो आज बाहर सो जाते हैं
पुरानी यादों में खो जाते है
यह मेरा बिस्तर वह तेरा बिस्तर
अपने आप को आज उस बिस्तर में उलझाते हैं
पुरानी यादों में खो जाते हैं
बीच में सोते हैं
साइड में सोने से डरते हैं
डर डर के होता है बुरा हाल
फिर भी बहादुर होने का दम भरते हैं
आंख बंद करके सो गए दिखाते हैं
पुरानी यादों में खो जाते हैं
ऊपर देखें बड़ा चमकता ध्रुब तारा
रात का खामोश वह आसमान का नज़ारा
टिम टिम करते तारे उसमें
कभी दिखाई देता रॉकेट
नज़रें करती उसका पीछा
एक पल में छुप जाता पर दूसरे पल फिर नज़र आता
रॉकेट पे बैठ दुनिया की सैर कर आते है
पुरानी यादों में खो जाते हैं
तिररर तिर्र्रर की आती आवाज
जुगनु उड़ते इधर उधर
टिम टिम करते तारों जैसे
मानो ऊपर वाले ने
माला में पिरोये हों मोती जैसे
रात को मच्छर पास में आते
कानों में कुछ गुनगुनाते
हाथ मार कर उन्हें भगाते
फिर चद्दर से सर ढक कर
लंबी तांन कर सो जाते हैं
पुरानी यादों में खो जाते हैं ।
वो दादा की कहानी
वो अम्मा की पहेली
चांदनी रात लगती थी
जैसे कोई दुल्हन नई नवेली
जुगनू की रोशनी करके
अतीत में जाते हैं
पुरानी यादों में खो जाते हैं
–– रवींद्र कुमार शर्मा