कविता

कायरता

करता है अपमान मेरा कोई यहाँ, 

 और मैं कायरता से उसे सहता रहूँ, 

उससे अच्छा हाथ मेरे काट दो, 

कायरता को बेबसी का नाम दे दो। 

 कम से कम बच जाऊँगा मैं 

निज हृदय में जलती आग से, 

बेबसी को सामने रख कायरता के 

अपमान का हर घूँट पी जाऊँगा मैं। 

 हे प्रभु या तो मुझे तुम मौत दो, 

रखना है जिन्दा गर, साहस का संचार दो, 

कायर बनकर जिन्दा रहना गर नियति मेरी, 

कायरता को मेरी बेबसी का नाम दे दो। 

 — अ कीर्ति वर्धन