कविता

मनोरंजन

मनोरंजन जीवन का अभिन्न अंग हैबिना मनोरंजन के बिना जीवन बदरंग है,मनोरंजन तन और मन की थकान मिटाता हैनव उर्जा का संचार करता है,मन जब हताश निराश होता हैअकेलापन और जीवन की दुश्वारियांजब कचोटने लगती हैं,तब मनोरंजन हमारे लिए दवा बन जाती है,जब कोई नहीं साथ होता हैतब सुविधा जनक मनोरंजन हीसबसे करीब होता है,अकेले में भी मुस्कराने का अवसर देता है।मनोरंजन के बिना जीवनबिल्कुल मुरझाए फूल सा लगता है,आज के युग में तो मोबाइलमनोरंजन का बाप लगता हैहमारा हमराज बनता है।

*सुधीर श्रीवास्तव

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