कविता

कदम दर कदम

जीवन के हर कदम परआपको खुद आगे बढ़ना हैकदम दर कदम आगे ही आगे बढ़ते जाना है,दो चार कदम तो कोई भीआपका सहारा बन सकता है,पर हर कदम पर कोई आपके साथ खड़ा होगा,यह बिल्कुल मुमकिन ही नहीं।कोई संबल दे सकता है,आपका हौंसला बढ़ा सकता हैप्रोत्साहन देकर आपको प्रेरित कर सकता हैपर आपका कदम नहीं बन सकता।वो तो आपको ही करनापहले कदम के साथ शुरुआत खुद ही करना हैऔर फिर कदम दर कदम आगे बढ़ना ही नहींखुद ही मंजिल भी पाना है,इसके लिए न कोई बहाना हैगांठ बांध लो हर मुश्किल से पार खुद ही पाना हैइसीलिए कदम दर कदम सतत् आगे ही जाना हैन कोई बहाना और न किसी को कुछ समझाना है,बस कदम दर कदम चलते जाना है।

*सुधीर श्रीवास्तव

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