कविता

मिट्टी

धरती ही नहीं दुनिया के किसी कोने मेंधरती हो या आकाश पाताल में मौजूद हर भौतिक वस्तु या जीवपेड़ पौधे ,जीव जंतु, पशु पक्षीनदी,नाले, झील, झरने पहाड़, खाई, गुफासब मिट्टी की ही देन हैं,और इसी मिट्टी में मिल जायेगा,चाहे जितना अकड़ दिखाए या अपनी ताकत पर इतरायेचाहे जितना ज्ञान विज्ञान का जाल फैलाएया तंत्र मंत्र करे और पूजा पाठ में रम जाए।चाहे जितना विशाल हो उसका आकारया बहुत गहरी हों उसकी जड़ें।सब व्यर्थ हो जायेगा जब उसका समय उसकी दुनिया में पूरा हो जाएगाउसका अस्तित्व मिट्टी में ही मिल जायेगा,मिट्टी के बिना न उसका अस्तित्व था ही कबजो मिट्टी के सिवा कहीं और आश्रय पायेगा,मिट्टी था, मिट्टी है और मिट्टी में मिल जायेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921