कविता

आसान नहीं है सबको स्वीकारना

सबकी जीवन गति
एक जैसी नहीं होती
गुज़रती है जिंदगी
अपने – अपने विचार और
अनुभवों के सहारे,
अतीत का दर्द
अपमान की पीड़ा हमें
पीछे की ओर हमेशा
खींचती रहती है
मनुष्य के साथ मनुष्य का
अमानवीय व्यवहार,
कुटिल तंत्रों की मोर्चा
इच्छाओं के आवरण में
अंतिम साँस तक चलती रहती है,
ये रिश्ते – बंधन एक जाल है
आगे का कदम
लेने नहीं देता है
आसान नहीं होता
यथार्थ में अपने आपको देखना
हर पल का स्वाद लेना,
आशाएँ अंगार बनकर
दफनाती रहती हैं
अपनी अंतर्दृष्टि को
ये कभी तृप्त नहीं होती
भौतिक सुख – सुविधाएँ
मन को कभी शांति नहीं देतीं
निश्चल मन के अभाव में
अपने को साबित करना,
अपनी दृष्टि को विकसित करना
बहुत बड़ा सवाल है जीवन
सच्चे अर्थ में समझना,
वर्ण, जाति, वर्ग, रंग-रूप
रूढ़िवादी परंपराएँ, असमानताओं के
चक्र व्यूह से बाहर आना
सरल नहीं है इंसान को
सबको पारकर, यथार्थ में
साधारण धरातल पर चलना,
लेकिन, वही जीत है, परिणति है,
विकास है, वही सच्ची प्रगति है
एक जीव होने के आभास में
आनंदमय जिंदगी को लेना
सबको मनना, स्वीकार करना।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।