छल कपट
वो मिलते हैं मुस्कुराके
खंजर हाथ में छिपाके
गले से लगाते हैं
पीछे से बार कर जाते हैं
हम भी कितने नादान हैं
जानते हैं राज उनके
इस कदर मुस्कुराने का
फिर भी बड़े प्यार से गले उनसे मिलते हैं
दगा हमनें सीखी नहीं
वफ़ा वो जाने नहीं
उनको मुबारक़ उनकी बेवफाई
हमको अपनी बावफाई