लघुकथा

भाई-बहिन

पूजा और पियूषा माता-पिता के लाड़-प्यार में पली बहिनें थीं. दुनिया भले ही मां को निपूती कहती रहे, पर पूजा और पियूषा के लालन-पालन में वे मस्त रहतीं. पूजा और पियूषा ने भी कभी उनको पुत्र की कमी होने का एहसास नहीं करने दिया. दोनों बहिनें रक्षा बंधन पर एक दूसरे को राखी बांधतीं और भाई दूज वाले दिन तिलक!
पूजा दिल्ली में रहकर भी ऑनलाइन ऑस्ट्रेलिया की एक कम्पनी में काम करती थी. रात को ढाई बजे उठकर नौकरी बजाना और दिन में थोड़ा-सा आराम! पूजा घर में रहती थी और पियूषा दिल्ली में ही एक कम्पनी में नौकरी करती थी.
“मैं शादी नहीं करूंगी, आप दोनों की देखभाल कौन करेगा!” पूजा ने शादी की बात चलने माता-पिता पर साफ कह दिया.
“मैं भी शादी नहीं करूंगी, पूजा अकेली रह जाएगी.” पियूषा ने भी पक्का फैसला सुना दिया.
भाई-बहिन का रिश्ता समर्पण और समझदारी से अटूट बनता है, पूजा-पियूषा का स्नेह भी भावनाओं के बंधन से प्रगाढ़ होता गया.
आज उनके माता-पिता भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, पर उनका आशीर्वाद पूजा-पियूषा को स्नेह से सराबोर कर रहा है.
वे एक-दूजे के लिए भाई-बहिन ही तो हैं!

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244