कविता – देश के वीर
देश की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है
इसकी खातिर प्राण भी जाएं कोई दुख नहीं है
हम नौजवान है मनमौजी मतवाले है
हम है देश की सरहदों के रखवाले है
गर्मी हो या सर्दी,तूफानों में रहते है
दल दल हो या पहाड़ी जंगल में हम बसेरा करते है
खतरों की चिंता न करके देश की सुरक्षा करते है
अपनी सीमा बंदूक ताने हम खड़े रहते है
दुश्मन हमारी नजर से बच नहीं सकता है
ऐसी हम पैनी नजर हम रखते है
उनके इरादों को हम आँखों से जान लेते है
हमें गर्व हम भारत देश के सैनिक है
किसी नहीं निहत्थे पर वार हम हमारा नियम है
जो देखता आँख हमारी तरफ उसको ढेर करते है
देश के प्रति फर्ज निभाते प्राण भी चले जाते है
कोई गम नहीं हमें तभी तो हम वीर कहलाते है[….]
— पूनम गुप्ता