कविता

कविता

तुम्हारी अक्ल सारी खा गई है।

तुम्हें समझ मगर आ गई है।

ये दुनिया रंग अपना दिखला गई है

मैं हूं बुरा ये मुझको ही समझा गई है।

मिरा होना न होना एक बात ही है।

मुझे ये बात समझ में आ गई है।

हुआ दुःख मगर ये बात सच ही तो हैं

यहीं बात मिरी समझ में आ गई है।

— अभिषेक जैन

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश