जनहितकारी कार्य
जनहितकारी कार्य
“माननीय मंत्री जी, राज्य के गाँवों में पेयजल की गंभीर समस्या है। कई गाँव में तो हालात ये है कि महिलाओं को डेढ़ से दो किलोमीटर दूर तक चलकर पानी लाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में बेहतर होगा कि आपकी सरकार हर गाँव में महापुरुषों की प्रतिमा स्थापित करने की बजाय उसी राशि से हैंडपंप खुदवाए।” पत्रकार ने सुझाया।
“देखिए पत्रकार महोदय, आप यूँ अनर्गल प्रलाप मत करिए। जनता द्वारा भारी बहुमत से चुनी गई हमारी लोकप्रिय सरकार ने बहुत ही सोच-समझकर महापुरुषों की प्रतिमाएँ स्थापित करने का जन हितकारी निर्णय लिया है।” मंत्री जी बोले।
“प्रतिमा स्थापित करना और वह भी जनहितकारी कार्य, जबकि यहाँ कि… ” पत्रकार ने आश्चर्य प्रकट किया।
“आ गए न अपनी औकात पर। आपको पता भी है हम जिन महापुरुषों की प्रतिमाएँ स्थापित कर रहे हैं, उन्होंने अपनी पार्टी और समाज के लिए कितनी बड़ी कुर्बानी दी थी। उनकी कुर्बानी और जीवन-संघर्ष से हमारे ग्रामवासी प्रेरणा लेकर अपना जीवन सार्थक करेंगे।” मंत्रीजी बोले।
“लेकिन जनता के लिए कम से कम पेयजल की व्यवस्था करना सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी होती है….” पत्रकार ने बोलना चाहा।
“बस्स… बहुत हो गया आपसे डिबेट। आपको जो कुछ भी कहना-समझाना है, उसके लिए हमारे बंगले में आइए। मिल-बैठकर बात कर लेंगे। यहाँ पब्लिक प्लेस में ज्यादा डिबेट ठीक नहीं। बहुत से और भी काम हैं यहाँ।” नेताजी ने चर्चा बंद करने के लिहाज से कहा।
बंगले में आने का न्योता पाकर पत्रकार महोदय का दिल बाग-बाग हो रहा था।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़