कविता

रायते का चक्कर

अभी अभी यमराज मेरे घर आ गए,
अपने दावत की जबरन
मुझसे हां करवा करने के साथ
ढेर सारे पकवानों के नाम
अपनी पसंद के गिना गए।
राज की एक बात मेरे कान में सुना गए,
रायते की स्पेशल डिमांड कर गए,
समय से पहुंच जाने की बात
कहते हुए जल्दी ही निकल गए,
मेरी शांत सी जिंदगी में रायता फैला गए।
कैसे कहूँ कि हे यमराज! ये तुम क्या कर गए?
अपने दावत के चक्कर में
मेरी जिंदगी घनचक्कर बना गए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921