वक़्त
वक़्त की यह खासियत
बदलता है यह
रुकता नहीं
किसी एक का
होकर यह कभी रहता नहीं
कल किसी का था
आज है किसी का
कल होगा किसी और का
न नाज करे कोई इस पर
सदा एक सा रहता नहीं किसी का
जो अट्टालिकएँ थी कभी कहकहों से गुंजवान
आज औढ़े बैठी हैं चादर खामोशियों की