कविता

लिखना है तो…

लिखना है तो रामायण का सार लिखो 

मर्यादा हुई तार-तार, उपचार लिखो, 

लिखना है तो मानवता की बात लिखो 

किया गया उपकार, तुम साभार लिखो। 

 आतंकवाद ने अपनी बाहें फैलायीं हैं, 

जातिवाद समस्या बनकर छाई है, 

किसने फैलाया यह सब, विचार लिखो, 

फैलाने वालों का बहिष्कार, प्रचार लिखो। 

 नेताओं ने आज देश को लूटा है, 

अधिकारी हैं भ्रष्ट, बाबू भी नहीं छुटा है, 

भ्रष्टाचार ने जड़ें अमरबेल सी फैलाई हैं, 

अमरबेल का करना नाश, उपचार लिखो। 

 लिखना है तो गीता का सार लिखो, 

कर्मयोग प्रधान नहीं फल की चाह जगे

 मोह ग्रस्त ध्रतराष्ट्र के कुल का नाश लिखो, 

धर्म सदा विजयी, सच का साथ लिखो। 

 — डॉ. अ. कीर्तिवर्धन