मुक्तक/दोहा

दोहे

गदहे जी भी हो गए ,थोड़े चतुर सयान,
उल्लू जी का कर रहे ,ले पैसे सम्मान।

कछुए जी की जीत पर ,खरहा था मायूस ,
पर करोड़ पा के चला ,वो भी पीने जूस।

टेढ़े उल्लू से कभी ,नहीं बन सके काम ,
उल्लू सीधा जो करे ,वो पाता ईनाम।

घास कभी खाता नहीं ,अपना शेर अधेड़ ,
उसे चाहिए बकरियां ,उसे चाहिए भेड़ ।

कुत्ता है गर जिंदगी ,छोड़ न घर ना घाट ,
कुछ पे तो गुर्रा ज़रा ,कुछ के तलवे चाट।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328