बसंत ऋतु
बसंत ऋतु आ गयी ,
मन को बहुत भा गयी,
बागों में बहार छा गयी,
बाग में कली खिल गयी,
नव कपोलों निकल गयी
हर डाली डाली खिल गयी,
धरा पीली पीली हो गयी,
सुहानी हवा भी चल गयी,
कोयल भी गान गा रही,
सबके मन को हर्षा रही,
प्रकृति भी मुस्करा रही,
देखो बसंत ऋतु आ रही,
खेतों में फसल लहरा रही,
घर घर में खुशी हो रही,
प्रकृति सिंगार कर रही,
फसल कटने को आ रही,
चारों तरफ हरियाली छा रही,
मन को प्रफुल्लित कर रही,
सर्दी की विदाई हो रही,
सब ओर छटा बिखर रही,[….]
— पूनम गुप्ता