कविता

कमाल की चीज़ है

आराम भी क्या कमाल की चीज़ है 

सुकून से रहना भी बेमिसाल चीज़ है!

सर्द सर्दियों के स्याह रातों में

रजाई में मुंह छिपाकर सोना कमाल की चीज़ है!

ग़म कहीं किसी और के दरवाजे पर दस्तक दे

खुशियां मेरे सिरहाने बैठी रहें,कमाल की चीज़ है!

खुले आंगन में  लेट कर तुम्हारे हाथों को थाम 

टिमटिमाते तारे को गिनना, कमाल की चीज़ है!

मेरे इन्द्रधनुषी सपनों को परिंदों की परवाज़ मिले!

उसमें तेरा साथ मिले ,कमाल की चीज़ है 

जिंदगी में जद्दोजहद का नामोनिशान न हो

बस अटखेलियों की भरमार हो, कमाल की चीज़ है!

रात और दिन हंसी-खुशी से लबरेज रहे 

जिंदगी में सिर्फ आराम हो, कमाल की चीज़ है !

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P