सब हो जाएँगे अपने
अपने को पहले बदल, बदलेगा संसार,
अपनी ऊर्जा को बढ़ा,परखो सार-आसार 1
परखो सार-आसार,मधुर जीवन हो जाये,
सभी जगह हो शांति,जहाँ भी दृष्टि जाये 1
पाठक की यह विनय ,ना देखो झूठे सपने,
मधुर वयवहार से सब हो जाएँगे अपने
— डा. केवलकृष्ण पाठक