कुण्डली/छंद

सब हो जाएँगे अपने

अपने  को पहले बदल, बदलेगा  संसार,
अपनी ऊर्जा को बढ़ा,परखो सार-आसार 1
परखो सार-आसार,मधुर जीवन हो जाये,
सभी  जगह  हो शांति,जहाँ भी दृष्टि जाये 1
पाठक की यह विनय ,ना देखो झूठे सपने,
 मधुर वयवहार से सब  हो जाएँगे अपने

— डा. केवलकृष्ण पाठक

डॉ. केवल कृष्ण पाठक

जन्म तिथि 12 जुलाई 1935 मातृभाषा - पंजाबी सम्पादक रवीन्द्र ज्योति मासिक 343/19, आनन्द निवास, गीता कालोनी, जीन्द (हरियाणा) 126102 मो. 09416389481