तेरा इंकार
तेरा इंकार ज़िन्दगी में बहुत काम आया।
हमें खबर न रही तेरी पर तू याद आया।
खुद पे भरोसा होता गया धीरे- धीरे फिर यूँ,
बढ़ते गए कदम दर कदम और ये मुकाम पाया।
माना खालीपन रहा ज़िन्दगी में हर पल सदा,
तेरे बाद खुद की काबलियत पे गौर फरमाया।
आज जब याद आते हैं वो बीते लम्हें हमें,
ठहर जाते हैं कदम मगर अपना वादा है दोहराया।
हमें खोकर जाने तुमने क्या – क्या पाया होगा,
तुम्हें खोकर हमें ज़िन्दगी ने है इक सबक सिखाया।
कभी भरोसा न आंख बंद करके किसी पे करेंगे,
तेरी उड़ान पर हमने खुद को भी है आज़ाद पाया।
— कामनी गुप्ता