अब न कोई बनता फूल
हो गए सब देखो कितने कूल।
हांजी अब न कोई बनता फूल।
समार्टफौन में डूबें सब डयूड;
बदला समय बदले सब रूल।
बचपन की बातें हो गई पुरानी;
कौन सुनता अब बोरिंग कहानी।
बच्चों की छोड़ोअब बड़े भी बदले;
फैशन है बस हंसी मज़ाक को भूले।
गुगल ने सबको ज्ञानी है बनाया;
हर शहर का हाल घर बैठे बताया।
यारो गलती से न कहना अप्रैल फूल;
क्योंकि अब न कोई बनता फूल।
— कामनी गुप्ता