कुछ नहीं बोलना
“माँ, तुम मेरी चिंता क्यों करती हो?”
“क्यों न करूँ,अभी तक न तुम्हारी नौकरी लगी है और न शादी हुई है।
“ओह माँ, फिर तुम पुराने जमाने की बात कर रही हो। अभी तीस साल ही मेरी उम्र है,अब तो लड़के बत्तीस- तेंतीस साल की उम्र में शादी करते हैं अपने पैरों पर खड़े होने के बाद। और एक दो साल में मेरी नौकरी भी लग जायेगी।”
“तुम्हारे भविष्य की चिंता मुझे खाए जा रही है। तुम्हारे पिताजी के गुजरे चौदह साल हो गए। दो साल पहले मीनू की शादी में हाथ खाली हो गए। फिर मीनू को मदद…?”
माँ, आज बहन को पैसे की सख्त जरूरत है। उसने मकान के लिए थोड़ी-सी खरीदी है, एक लाख रुपए कम पड़ रहे हैं। दे दो उसे सोने की चेन।”
“बेटा, चेन दे दूँ तो फिर क्या बचेगा? एक ही तो चेन है। तुम्हारी शादी में अपनी नई बहू को मैं क्या दूँगी?”
माँ, तुम्हारा प्यार, तुम्हारा आशीर्वाद किसी सोने की चेन से ज्यादा कीमती है। आज तुम मेरी बात मान लो और चेन दे दो। चेन बेचकर जो रकम मिलेगी बहन को दे देंगे; मकान के लिए उसे जमीन मिल जायेगी।”
” ठीक है,भविष्य में कुछ नहीं बोलना” माँ ने गहरा उच्छवास के साथ अपने गले से चेन निकालकर बेटे के हाथ में थमा दिया।
— निर्मल कुमार दे