स्वास्थ्य

वृद्धावस्था में व्यायाम

वृद्धावस्था के व्यक्तियों से हमारा तात्पर्य 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के ऐसे लोगों से है, जिनका शरीर निर्बल हो गया है और जो किसी प्रकार चल-फिर लेते हैं, लेकिन तेज़ी से नहीं। ऐसे व्यक्तियों को अपने आहार की तरह व्यायाम के चुनाव में भी बहुत सावधानी रखनी पड़ती है, क्योंकि अब वे अधेढ़ भी नहीं रहे, इसलिए कई तरह का व्यायाम करने की शक्ति उनमें नहीं होती।

वृद्धावस्था के लोगों को अपने शरीर के अंगों का बल बनाये रखने और शरीर को सक्रिय रखने की आवश्यकता होती है। इस उम्र में शारीरिक फुर्ती समाप्त हो जाती है और हाथ-पैर शिथिल हो जाते हैं। इसलिए उनको ऐसे व्यायाम करने चाहिए, जिनसे उनका पूरा शरीर नहीं तो, कम से कम इन्द्रियाँ सही तरह कार्य करती रहे और अधिक थकान भी न हो।

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए वृद्धावस्था के लोगों के लिए आदर्श व्यायाम का चार्ट निम्न प्रकार हो सकता है-

1. टहलना- यह सबसे अच्छा व्यायाम है, जिससे शरीर लगातार सक्रिय बना रहता है और अधिक थकान भी नहीं होती। इसलिए सभी वृद्धों को प्रतिदिन 15 से 20 मिनट अपनी सामान्य चाल से अवश्य टहलना चाहिए। टहलना किसी पार्क में या समुद्र, नदी या तालाब के किनारे किया जाये, तो सर्वश्रेष्ठ है, नहीं तो अपने घर की छत पर भी टहला जा सकता है या किसी ऐसी सड़क पर जहाँ यातायात अधिक न हो। टहलते हुए यदि थकान हो जाये, तो वहीं रुक जाना चाहिए।

2. अंग व्यायाम- इसके अन्तर्गत हमारे शरीर की जितनी भी प्रमुख इन्द्रियाँ हैं, उनका अलग-अलग व्यायाम किया जाता है, जैसे आँखें, मुख, ग्रीवा, हाथ और पैर। इनके विशेष सूक्ष्म व्यायाम होते हैं, जो यद्यपि देखने में बहुत साधारण हैं, लेकिन बहुत प्रभावशाली हैं। इन सभी इन्द्रियों के व्यायाम करने में लगभग 15-20 मिनट लगते हैं और थकान बिल्कुल नहीं होती। इसलिए टहलने के बाद कुछ विश्राम करके अंग व्यायाम कर लेने चाहिए। ये सभी व्यायाम बैठकर किये जाते है।

3. प्राणायाम- सभी व्यायामों के बाद कुछ मिनट तक प्राणायाम अवश्य करने चाहिए। आप अपनी रुचि के अनुसार प्राणायामों और उनमें लगने वाले समय का चुनाव कर सकते हैं। वृद्धों के लिए कुछ प्रमुख प्राणायाम हैं- गहरी साँस लेना और छोड़ना, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी आदि। ये प्राणायाम किसी जानकार व्यक्ति से सीखकर ही करने चाहिए। इनके अलावा अन्य प्राणायामों से वृद्धों को बचना चाहिए।

4. ताली बजाना- वृद्धों को अन्त में 200 से 300 बार दोनों हाथों से तालियाँ अवश्य बजानी चाहिए। इनसे पूरे शरीर को लाभ होता है और बहुत से रोगों से बचाव होता है।

वृद्धों को सामान्यतया योगासन नहीं करने चाहिए, वे कर भी नहीं सकते। लेकिन यदि वे पहले से योगासन करते आ रहे हैं, तो वे उनको करना जारी रख सकते हैं। वृद्धावस्था में कभी भी इनके अलावा अन्य व्यायाम शुरू नहीं करने चाहिए। इस अवस्था में शरीर के साथ कोई प्रयोग नहीं करना चाहिए।

यह बताना आवश्यक है कि व्यायाम सही विधि से करने चाहिए। ग़लत प्रकार से करने पर उनसे लाभ तो कुछ होगा नहीं और हानि भी हो सकती है। मेरी पुस्तिका ‘स्वास्थ्य रहस्य’ में ऊपर बताये गये सभी व्यायामों और प्राणायामों की जानकारी और विधि दी गयी है। आप उसमें पढ़कर सीख सकते हैं और सरलता से कर सकते हैं। यहाँ मैं एक लिंक दे रहा हूँ जिससे आप इस पुस्तिका को डाउनलोड कर सकते हैं।

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इनमें से बहुत से व्यायामों के वीडियो भी उपलब्ध हैं। उनको आप मेरे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। इस चैनल का लिंक नीचे दे रहा हूँ।

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— डॉ. विजय कुमार सिंघल

चैत्र शु. 2, सं. 2081 वि. (10 अप्रैल, 2024)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com