बाल कविता चंदा महेंद्र कुमार वर्मा 08/05/202408/05/2024 सदा रात को आता चन्दा ,सब पे ख़ुशी लुटाता चन्दा ,जब भी बादल उसे घेरते ,बादल में छुप जाता चन्दा। — महेंद्र कुमार वर्मा