मां है ईश समान
मां से बढ़ कर कुछ नहीं, मां है ईश समान।
मां से ही संसार है, तीन लोक की शान।।
मां से बढ़ कर कुछ नहीं, मां जीवन आधार।
मां की पावन कोख से,जन्म मिला इस बार।
मां से बढ़ कर कुछ नहीं, मां ममता का रूप।
प्यार लुटाती एक सा, मां का प्रेम अनूप।।
मां से बढ़ कर कुछ नहीं, त्याग की मूर्त मान।
संतति की रक्षा करें, दे कर अपनी जान।।
आंचल में ममता भरी, माता शीतल छांव।
थाम उंगली जब चली, चलना सीखें पांव।।
मां के चरण कमल बसे, पावन चारों धाम।
नैन से बहे नर्मदा, हो जीवन अभिराम।।
पावन माते आप हैं, आप धरा का रूप।
करे साफ नित गंदगी, सुंदर मां स्वरूप।।
गोद मात सुरलोक सी, लोरी मधुर दुलार।
कर्म भले हम नें किये, मिला मात का प्यार।।
बलिहारी जाऊॅं सदा, इतने मां उपकार।
माता की सेवा करूॅं , जन्म मिले हर बार।।
— शिव सन्याल