बाल कविता

घण घण घण बजी रे घंटी

घण घण घण बजी रे घंटी,

आया कुल्फी वाला,

आया कुल्फी वाला रे,

आया कुल्फी वाला।।

दादी दे दो ना पैसे, 

खाऊंगा मैं कुल्फी,

कहो तो ले आऊं, 

आपके लिए भी कुल्फी।।

दादा जी चलो साथ, 

लायेंगे पिस्ता, केसर कुल्फी,

स्वाद याद कर मुंह में 

अब आ रहा पानी।।

नानी जी मत रूठो, 

नाना जी लाये कुल्फी,

कुल्फी संग शर्बत भी लाये, 

करेंगे धमाल मौज-मस्ती।।

मित्रों संग खाऊंगा कुल्फी, 

तब आयेगी खूब फुर्ती,

गरमी से राहत मिलेगी, 

जब खायेंगे ठंडी कुल्फी।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८