कविता

स्वयं की कर पहचान

आत्मा की है सम्पत्ति,दर्शन, चरित्र और ज्ञान,
अपने अन्दर झांक कर,स्वयं की कर पहचान।
स्वयं की कर पहचान,कि कैसे भूल गया है,
सत्पथ को क्यों छोड़ के,ऐसे भटक रहा है।
“पाठक” की यह विनय, जीवन शुद्ध बनाले,
आत्मज्ञानी होकर के,अपने लक्ष्य को पाले।

— डा. केवल कृष्ण पाठक

डॉ. केवल कृष्ण पाठक

जन्म तिथि 12 जुलाई 1935 मातृभाषा - पंजाबी सम्पादक रवीन्द्र ज्योति मासिक 343/19, आनन्द निवास, गीता कालोनी, जीन्द (हरियाणा) 126102 मो. 09416389481