भ्रष्टाचार की खान
गन्दी सोच के लोग हैं भ्रष्टाचार की खान,
जो नहीं इसको जानता वह भोला इंसा।
वह भोला इंसान भटकता रहता दर -दर,
शोषण अत्याचार की मार पड़े जनता पर।
पाठक ना हो मिलकर जनता करे विचार,
देश में कोई भी कभी भी करे न भ्रष्टाचार।
— डा. केवल कृष्ण पाठक