कविता

याद पिता की

होती थी मेरी,
दिन की शुरुआत,
पापा आपसे।।

एक आवाज,
कानों में पड़ते ही,
देती दस्तक।।

नयन नीर,
लुढ़कते रहते,
देखूँ तस्वीर।।

रहते साथ,
जीवन हर क्षण,
पकड़े हाथ।।

मन बेचैन,
कविता पढ़ते ही,
भीगते दोनों नैन।।

सपने पूरे,
पूर्ण करूँगी पिता,
छोड़े अधूरे।।

आपकी बातें,
गूँजती चहुँओर,
गुजरी रातें।।

यादें संजोती,
मन को बहलाती,
छुप-छुप के रोती।।

आशीष सदा,
मिले मुझे आपसे
आते हैं याद।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]