ग़ज़ल
दिल में अपना ग़म छुपाना सीख लो
दर्द में भी मुस्कुराना सीख लो
यूं तो दिल में रहतें हैं अपने बहुत
दिल किसी इक से लगाना सीख लो
नाम हरदम लोगे फिर महबूब का
उसको ही दिल में बसाना सीख लो
याद आए तुम्हें जब महबूब की
एक साकी को बुलाना सीख लो
बहकें तुम्हारे क़दम जब भी कहीं
यार को ज़ेहन में लाना सीख लो
ये जहां ताने कसेगा तुम्हें तो
भूलकर सब खिलखिलाना सीख लो
— प्रीती श्रीवास्तव