कविता – बदलते वक्त में
जड़ता की तौहीन समझते हैं कुछ लोग,
मुश्किल में दिखाई देती है यह रोग।
कोशिश करने में सक्षम बनें हम,
इस ताकत को पहचानें हर लोग।
लगातार मेहनत से निकली हुई आवाज है,
उन्मुक्त गगन में अमर रहेंगे,
यह सब मानते हैं,
होनी चाहिए प्रतिकार यहां,
यही समृद्धि का रहस्य है,
हम सब कह सकते हैं,
आज़ की मीठी आगाज़ है।
एक रहनुमा है तो सबकुछ हासिल किया जा सकता है,
उम्मीदों पर खरा उतरने में,
मजबूती से हांथ पकड़ कर,
लोगों को समझाने का,
उन्नत प्रयास का प्रबंधन दिल में बसी हुई खुशियां को वापस लाया जा सकता है।
उम्मीद बनाएं रखने में,
एक हंसती मुस्कुराती नुमाइंदगी की,
बड़ी जरूरत पड़ती है।
सफ़लता मिलेगी अवश्य,
इस ताकत से निकली हुई आवाज बनकर,
आगे बढ़ने में मदद,
दिलाने वाले को मदद पहुंचाई जा सकती है।
बदलते मौसम से लबालब भरी हुई,
सहिष्णुता की दुनिया आज़ सम्मान दे रही है।
इस कारण इस खूबसूरत उपहार से,
सबके सामने उम्मीद बनाएं रखने की,
बातें प्यार और प्रेम से,
सही और सटीक तरीके से,
लगातार मेहनत करते हुए,
सबके सामने प्रस्तुत की जा रही है।
आज़ सम्मान और पुरस्कार,
सबको अच्छी लगती है।
इस ताकत से निकली हुई आवाज में,
ताकत बड़ी खास झलकियों से रूबरू कराने में,
आगे बढती रहती है।
बदलते वक्त की दुनिया आने पर,
सबकुछ सहजता से स्वीकार किया जाता है।
आनन्द और प्रसन्नता से,
रूबरू होना सबको बहुत मुश्किल वक्त में भी,
कायदे से रहना बताता है।
— डॉ. अशोक,पटना