कविता

सुरक्षा कवच

सुरक्षा कवच की सबको जरूरत है,
दुनिया टेढ़ी है तो भी बहुत खूबसूरत है,
बाल्यकाल में हर इच्छा पूरी करता है,
हमें सजा खुद नहीं संवरता है,
वो कोशिश करता है कि
मैं उनसे काफी आगे बढूं,
ज्यादा से ज्यादा पढूं,
तब खड़ा हो जाता है
वो सामने आ रहे मुश्किलों के बीच
लेकर अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई,
नहीं बरतता जरा सी भी ढिलाई,
सिर्फ वहीं तो है जो मुझे
दुनियादारी और नैतिकता सिखाता है,
मेरी मुसीबतें देख ढाल बन जाता है,
जो हमें देखकर ही मान लेता है
कि दूर हो गई सारी थकान,
हम साथ रहें तो झोपड़ी भी लगता है मकान,
मुंह बांये खड़ी समस्या हमें नहीं बताता है,
खुद भूखा रह हमें निवाला खिलाता है,
जब जब मेरी गाड़ी जाती है दुश्वारियों में धंस,
तब वहीं आता है बन सुरक्षा कवच,
सारी परेशानियों,चिंताओं,तकलीफों में
जो अकेले जीता है,
हां यार मेरा सब कुछ मेरा पिता है।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554