कविता

हमेशा साथ रहती है

ललक कुछ करते रहने की,
हमेशा साथ रहती है,
फ़लक तक पहुंचोगे तब ही,
ये अक्सर कहती रहती है।

प्रवाहित हो सतत सरिता,
तभी निर्मल वो रहती है,
सांस दे सकती दुनिया को,
हवा ‘गर बहती रहती है।

नसीहत एक अच्छी से,
जीवन-धार संवर सकती,
नसीहल गलत मिल जाए,
जिम्दगी भार हो सकती।

दुआ पितु-मात-गुरुजन की,
हमेशा साथ रहती है,
परवाह हित-चिंतकों की,
हमेशा साथ रहती है।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244