आदर्श
आदर्श
“बेटा, तुम्हारे आदर्श कौन हैं ?”
“सर, आदर्श मतलब ? मैं समझा नहीं कुछ ?”
“यही कि तुम बड़े होकर क्या बनना चाहते हो ?”
“सर, बड़ा होकर मैं खुद एक आदर्श बनना चाहता हूँ। मैं देश और समाज के हित में कुछ ऐसा करना चाहता हूँ कि लोग उसे अपना आदर्श मानें।”
“शाबाश बेटा, मुझे तुम पर पूरा विश्वास है।” मास्टर जी ने उसकी पीठ थपथपाकर प्रोत्साहित करते हुए कहा।
- डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़